साइबर ठगों के खिलाफ सख्त रवैया दिखाते हुए लुधियाना पुलिस ने डेढ़ महीने में ठगी के 43 पर्चे दर्ज कर खूब वाहवाही लूट ली, लेकिन असलियत में दूसरे राज्यों के इन आरोपियों की गिरफ्तारी कार्डिनेशन की कमी की वजह से नहीं हो पाती। जिसकी वजह ये शातिर ठग पंजाब पर फोकस करते हुए वारदातों को अंजाम देते चले जा रहे हैं और पुलिस सिर्फ उन्हें नामजद करके ही अपनी पीठ थपथपा रही है। मगर इससे कहीं न कहीं लोगों की परेशानी जरूर बढ़ी है। क्योंकि उन्हें उनके पैसे तो मिले नहीं, उलटा अब थानों और कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे। हालांकि पुलिस का तर्क होता है कि कइयों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
साइबर क्राइम : इंसाफ न मिलने से पीड़ितों की बढ़ गई परेशानी
आकंड़ों की बात करें तो पुलिस ने अब तक 90 ठगों को नामजद किया है। जिसमें से 40 फीसदी ऐसे हैं, जिनपर पहले भी पर्चे दर्ज किए हैं। लुधियाना पुलिस ने उन्हें नामजद किया, मगर उन्हें पूछताछ के लिए नहीं लाया गया। वहीं जो बाकी बचे ठग हैं, उन तक पुलिस पहुंच ही नहीं पाई। इन सभी में से 95 फीसदी आरोपी झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल और यूपी से संबंधित हैं। विभागीय सूत्र बताते हैं कि इन आरोपियों पर पर्चे तो दर्ज कर दिए हैं, लेकिन अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि वाकई में ये असली आरोपी हैं भी या नहीं?
नामजद करने के बाद सिर्फ कागजों में जांच
पंजाब में साइबर ठगी के मामले में लुधियाना पहले पांच में आता है। जहां सबसे ज्यादा ठगी के पर्चे हुए हैं। ऐसा होने के बावजूद भी इन मामलों को काफी सुस्त रवैये से इंवेस्टिगेट किया जाता है। पर्चा दर्ज होने के बाद दूसरी स्टेट की पुलिस के साथ तालमेल नहीं बनाया जाता। अगर ऐसा हो तो न जाने कितने करोड़ के फर्जीवाड़े का खुलासा हो, जो सिर्फ लुधियाना में ही किया गया है। सूत्रों की मानें तो कई मामलों में तो पुलिस को दूसरे स्टेट की पुलिस का सहयोग नहीं मिलता, जिसकी वजह से वो उन तक नहीं पहुंच पाते। जबकि अधिकांश में नामजद करने से ज्यादा फाइल आगे ही नहीं बढ़ती।
जुलाई में दी शिकायत, कोई हल नहीं निकला
विनोद कुमार ने बताया कि वो पेशे से अकाउंटेंट है। जुलाई महीने में उनके खाते से 3.70 लाख की ठगी हो गई थी। उक्त मामले में शिकायत दी थी, लेकिन किसी का फोन नहीं आया और न ही उसमें कोई हल हुआ। अगर पर्चा दर्ज हो भी जाता है तो उनके लिए ही परेशानी है। क्योंकि ठगों का कुछ पता नहीं चलना और कोर्ट के चक्कर लगाने की नई परेशानी उनके गले पड़ जानी है। गुरजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने ऑनलाइन 7 महीने पहले मोबाइल खरीदा था, जिसमें ठगी हो गई थी। तब थाने में शिकायत दी थी। लेकिन उसका कोई हल नहीं हो पाया।
Source: bhaskar